Posts

Showing posts from October, 2016
पिंक…पिंक…पिंक पूजा की छु्ट्टी में फिल्म पिंक देखी। पिंक यानी हल्का रंग, जिसे लड़कियों के लिए चिंहित कर दिया गया है। पिंक यानी गुलाबी रंग, यानी  गुलाब फूल का प्रिय रंग। बिल्कुल सही। जिस तरह प्राकृतिक ने गुलाब फूल के पेड़ में नाजुक फूल के साथ कांटे भरे हुए हैं, उसी तरह हम लड़कियों के जीवन में कुछ लड़के कांटे के रूप में आ जाते हैं। सबसे बड़ी बात है कि लड़कियाँ कितना हंसे, कितना मुस्कुराये, कितनी बातचीत करें, कैसा कपड़ा पहने, क्या खाये-क्या पीये इत्यादि…इत्यादि के लिए सीमाएं तय की गयी है, पर वे लड़के आजाद पक्षी की तरह आसमान में उड़ते हैं। इसके बाद लड़के लड़कियों को 24 X 7 घंटे उपलब्ध वाली सेवाएं समझते हैं, कि कभी भी उनके गंदे इशारों को समझ लें, उनके सामने पेश हो जाये। वह कभी भी लड़कियों को यूज एंड थ्रो कर सकते हैं। यह समस्या आजाद भारत के आजाद  नवयुवकों की ही वजह से है। उस पर अगर वह अमीर बाप का बेटा हुआ तो समझो पूरी दुनिया का ठेका उसी के पास है और वह इस दुनिया में कुछ भी कर सकता है। उसके लिए छेड़खानी, बलात्कार, धमकी देना जैसे आम बात है। इसी ताने-बाने को लेकर ही निर्देशक अनिरुद्ध राय चौधुर...