मंगलवार 8 नवंबर रात नौ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की 500 और एक हजार रुपये बंद रात में ही एटीएम के सामने कतार लगी चांदी हुई एक सौ नोट की जो पहले पांच सौ और हजार रुपये के सामने बौना हो चुका था उस पल से फिर जीवित हो गया उसके सभी छोटे साथी भी मचलने लगे लोगों की नजरों में उनके लिए सम्मान दिखने लगा वे भी नटखट से इधर उधर उछलने लगे उस दिन से बीत रहा है लोगों का समय एटीएम व बैंक के सामने 100 रुपये और छुटे लेने के लिए पाँच सौ और हजार रुपये जमा करा कर मुक्त होने के लिए कुछ तो केवल भीड़ देखकर ही घर लौट आते हैं सोचते हैं कि किसी तरह दिन काट लूँ और भीड़ कम होगी तो निकाल लेंगे अपने ही पैसे वहीं दूसरी तरफ गरीब इसलिए नहीं सो पा रहे हैं कि कब सौ रुपये मिलेगा और कैसे अपनी पूरी जरूरतों को इससे पूरा कर पाऊँगा जबकि पहले तो पाँच सौ रुपये खुदरा कराने पर कम से कम किसी तरह दो दिन चला पाता था गुजारा अब कैसे लाऊँगा सौ रुपये और कैसे खर्चा करूँगा अमीर इसलिए नहीं सो पा रहे हैं कि उनकी जमा-पूंजी एक पल में ही खाक हो गयी कितने मेहनत से पाई-पाई जमा कि...
Posts
Showing posts from 2016
- Get link
- X
- Other Apps
पिंक…पिंक…पिंक पूजा की छु्ट्टी में फिल्म पिंक देखी। पिंक यानी हल्का रंग, जिसे लड़कियों के लिए चिंहित कर दिया गया है। पिंक यानी गुलाबी रंग, यानी गुलाब फूल का प्रिय रंग। बिल्कुल सही। जिस तरह प्राकृतिक ने गुलाब फूल के पेड़ में नाजुक फूल के साथ कांटे भरे हुए हैं, उसी तरह हम लड़कियों के जीवन में कुछ लड़के कांटे के रूप में आ जाते हैं। सबसे बड़ी बात है कि लड़कियाँ कितना हंसे, कितना मुस्कुराये, कितनी बातचीत करें, कैसा कपड़ा पहने, क्या खाये-क्या पीये इत्यादि…इत्यादि के लिए सीमाएं तय की गयी है, पर वे लड़के आजाद पक्षी की तरह आसमान में उड़ते हैं। इसके बाद लड़के लड़कियों को 24 X 7 घंटे उपलब्ध वाली सेवाएं समझते हैं, कि कभी भी उनके गंदे इशारों को समझ लें, उनके सामने पेश हो जाये। वह कभी भी लड़कियों को यूज एंड थ्रो कर सकते हैं। यह समस्या आजाद भारत के आजाद नवयुवकों की ही वजह से है। उस पर अगर वह अमीर बाप का बेटा हुआ तो समझो पूरी दुनिया का ठेका उसी के पास है और वह इस दुनिया में कुछ भी कर सकता है। उसके लिए छेड़खानी, बलात्कार, धमकी देना जैसे आम बात है। इसी ताने-बाने को लेकर ही निर्देशक अनिरुद्ध राय चौधुर...
मेरे छोटेबाबू
- Get link
- X
- Other Apps
कुछ दिन पहले फादर्स डे मनाया गया। सबने ही अपने पिता को याद किया। मेरे पिता के भाई अर्थात् चाचा उर्फ छोटे बाबू की पुण्यतिथि आज है। मेरे चाचा बिल्कुल सामान्य व्यक्ति थे। लंबा कद, मोटा शरीर और सांवला रंग। पर उनका व्यक्तित्व बहुत अच्छा था। वह सारी जिंदगी अपने भैया-भाभी के साथ गुजार दिये। वह कलयुग के लक्ष्मण थे। जहाँ एक तरफ पूरी ईमानदारी और मेहनत से पापा के मानव पत्रिका के कार्य में सहयोग निभाया करते थे, वहीं भाभी के एकमात्र देवर अपनी भाभी का हमेशा ख्याल रखा करते थे। भाभी अगर छठ पूजा का व्रत करती थी, तो देवर बड़ी श्रद्धा और लगन से छठ पूजा का प्रसाद बनाने में साथ देते थे। जहाँ भाभी बीमार पड़ती, देवर उनकी सेवा के लिए तत्पर रहते। एक पल भी पीछे नहीं होते। वह कहते थे कि भाभी माँ बराबर होती है, तो उनकी सेवा करने में शर्म कैसी? वह हम पाँच भाई-बहनों को भी बहुत ज्यादा प्यार करते थे। बड़े भैया और भाभी को प्यार भी करते थे, पर उनके सामने डरते भी थे। फिर पीछे कहते कि मैं डरता नहीं, बच्चे बड़े हो गये इसलिए उसके सामने ज्यादा नहीं बोलता। मझले भाई का हमेशा ख्याल रखा। छोटे वाले भैया से उनका तू-तू-...