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केवल माँ को ही मिलता है जीने को बचपन दुबारा दुनिया के 99 प्रतिशत लोगों की यही इच्छा होती है कि काश! बचपन लौट आये। बचपन की तरह भोलापन, सरलपन और चिंता से मुक्त जीवन हमें दुबारा मिलें। पर सभी यह जानते भी हैं कि यह हमें दुबारा नहीं मिलता है।  मेरा मानना है कि केवल माँ को ही बचपन फिर से जीने को मिल जाता है। अर्थात् जब एक लड़की माँ बनती है, तो उसके ऊपर जिम्मेदारियाँ तो बहुत बढ़ जाती है, पर उन जिम्मेदारियों के साथ उसे एक तोहफा मिलता है। वह है अपने बच्चों के साथ फिर से बचपन को जी लेने का। अपने बचपन की धुंधली यादों को ताजा कर लेने का। कई इच्छाएँ ऐसी होती है कि हम अपने बचपन में नहीं कर पाते हैं। उन इच्छाओं को भी पूरा करने का मौका मिलता है केवल एक माँ को ही। माँ शब्द जितना मीठा है उतना ही गहरा है। केवल एक अक्षर से बने माँ शब्द में जैसे पूरी दुनिया समायी हुई है। एक बच्चे के लिए भी और एक माँ के लिए भी। सबसे बड़ी बात है कि बच्चे जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं, यह शब्द उतना ही अच्छा लगने लगता है। एक माँ के लिए वह दिन सबसे ज्यादा खास होता है जब उसका बच्चा उसे पहली बार माँ पुकारता है। और यह शब्द जैसे उसे