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Showing posts from August, 2018

अरे ! मोटापा तुम कब जाओगे

अरे मोटापा ! तुम तो बड़े हठी हो। जिद्दी हो। कब से टिके हुए हो। अब तो तुम चले जाओ। मैंने तो तुम्हें कभी नहीं बुलाया। तुम तो पुराने जमाने के मेहमान की तरह हो, जो आ तो गये, टिक ही गये। जाने का नाम ही नहीं ले रहे हो। पहले लोगों के यहाँ मेहमान जाया करते थे, अब तो फेसबुक और व्हाट्अप का जमाना है। आजकल के बच्चे तो मेहमान शब्द ही नहीं जानते और ना मेहमान नामक चिड़िया को पहचानते हैं। और तुम तो बड़े बेशर्म निकले। जब नहीं आये थे, तो नहीं आये। और अब आ गये तो जाने का नाम ही नहीं ले रहे। जिंदगी का एक हिस्सा तो तुम बिल्कुल कट्टी थे। कितना अच्छा लगता था। हल्का-फुल्का शरीर। उछलने –कूदने वाला शरीर। पर एक समय के बाद लोगों ने टोकना शुरू कर दिया। अरे, तुम्हारे शरीर पर मांस क्यों नहीं चढ़ता। खाना तुम खाती हो, या खाना तुमको खाता है। अरे महिलाओं ने तो कानाफूसी भी शुरू कर दी कि लगता है इसको पेट भर खाना नहीं मिलता, देखो चारों ओर हड्डी ही हड्डी दिखती है। बहुत बड़े होने तक भी मैं रिक्शा में भैया-भाभी की गोदी में बैठकर ही जाती थी। सभी यही कहते थे, इसका क्या ये तो किसी भी कोने में बैठ जायेगी। कभी-कभी खराब लगता, तो कभ

कविता केवल कविता नहीं होती

कविता कविता केवल कविता नहीं होती वो तो होती है मन की अभिव्यक्ति मन का सुख मन का दुख कविता केवल कविता नहीं होती वो तो होती है दुख में बिल्कुल आपसे चिपकी हुई आंसू की तरह बहती रहती है कागजों पर रचती रहती है एक नया संसार कविता केवल कविता नहीं होती वो तो होती है अकेलेपन की साथी हाथ थामें रहती है रास्ता दिखाती रहती है कदम बढ़ाती रहती है कविता केवल कविता नहीं होती वह जख्म को भरने  का काम करती है कभी खोलकर तो कभी ढँक कर घाव ठीक करती है कविता केवल कविता नहीं होती वो तो रोशनदान होती है चारों ओर से बंद कमरे में भी हल्की रोशनी ला देती है और उम्मीद की नयी किरण जगा जाती है कविता केवल कविता नहीं होती वो तो पूरी जिंदगी होती है सारे रंगों से भरी होती है सारे ख्वाबों से भरी होती है कविता केवल कविता नहीं होती है