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सभी शिक्षकों को सत्-सत् प्रणाम

हमारा जीवन तीन हिस्सों में बंटा होता है। पहला बचपन, दूसरा विद्यार्थी जीवन और तीसरा नौकरी यानी कैरियर। तीनों पड़ावों में ही हमें हर दिन हर पल कुछ नया सीखने को मिलता है। सबसे पहला पड़ाव बचपन है। बचपन में सबसे करीब माँ होती है और परिवार होता है। हम अपनी माँ से बहुत कुछ सीखते हैं और परिवार के हर सदस्य से सीखते हैं। उनकी तरह चलना, बोलना, खाना यह हमारी पहली सीखने की नियति होती है। इसके बाद शुरू होता है विद्यार्थी जीवन। जो बहुत लंबा होता है, जहाँ हमें अलग-अलग उम्र में अलग-अलग विषय के लिए अलग-अलग गुरु मिलते हैं, और सबसे हम किताबी ज्ञान के अलावा भी बहुत कुछ सीखते हुए आगे बढ़ते हैं। पूरे विद्यार्थी जीवन में हमें इतने गुरु मिलते हैं, कि विद्यार्थी जीवन के आखिरी पड़ाव में हम शुरुआती गुरुओं को भूल ही जाते हैं। पर उनकी दी हुई सीख कहीं न कहीं हमारे अंदर होता है और वह हमारी जिंदगी का हिस्सा बना होता है। उसके बाद शुरू होता है जीवन का सबसे अंतिम और महत्वपूर्ण पड़ाव यानी नौकरी भरी जिंदगी, कैरियर की जिंदगी। आमूमन हम सोचते हैं कि विद्यार्थी जीवन खत्म होने से अब हम विद्यार्थी नहीं होते हैं। पर ऐसा नहीं है। विद