लोग मुझे कहते हैं
मूर्ख
कुछ लोग सामने
तो कुछ लोग पीठ पीछे
क्यों
कहते हैं
क्या
इसलिए
कि
मैं
लोगों से अलग-थलग
रहती हूँ
या
इसलिए
कि
मैं
चुपचाप सबको सुनती हूँ
महसूस करती हूँ
कुछ भी नहीं कहती हूँ
या फिर
इसलिए
कि
मैं
शांत रहकर
अपना काम
केवल  अपना
काम करना
चाहती हूँ
छल-कपट
झूठ-फरेब
से दूर रहती हूँ
या
फिर
इसलिए़
क्योंकि
मैं
हाय-हैलो
नहीं
करती
या फिर
इसलिए
कि
मैं
चापलूसी
नहीं करती
जी-हुजूरी
नहीं करती
लोगों से ज्यादा
मिक्स नहीं होती
अलग-थलग रहती
हूँ
या फिर
इसलिए
कि
यहाँ
सभी
एक-दूसरे को
मूर्ख
ही कहते हैं
चाहे कोई
भी हो
कैसा भी हो
सबके लिए
एक ही
नाम है
ऊँची कुर्सी पर
बैठने वालों  को
ही कोई
छोड़ता नहीं
तो कोई
मुझे कैसे
छोड़ेगा
सब
एक-दूसरे
के लिए
यहाँ
मूर्ख
है
और
एक-दूसरे
को मूर्ख
बताकर
अपने को
आगे
बढ़ने
की मूर्खता
हर कोई कर रहा है
पर सब एक दूसरे
से छुप कर
एक दूसरे के पीठ पीछे
एक-दूसरे को मूर्ख

बता रहा है

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