जानलेवा होता है भावना से भरा होना



अगर आपके घर में या आसपास ऐसा कोई बच्चा या बच्ची, जो भावनात्मक रूप से सोच रहा है/सोच रही है तो उसे तुरंत टोकिए और उसे एक बड़ी और गंभीर जानलेवा बीमारी से बचाने की कोशिश कीजिए। भावनात्मक रूप से सोचना अपने आप में एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी में लड़के की तुलना में लड़किया ज्यादा पीड़ित है, क्योंकि लड़कियाँ दिल से सोचती है। आज के समय में ऐसा नहीं है बहुत सारी लड़कियाँ दिल के बजाय परिस्थिति, स्थिति, और दिमाग से सोचने लगी है। पर ऐसी लड़कियाँ जो भावना से भरी पड़ी है, उसके लिए जीवन एक श्राप बराबर है। वह किसी के साथ भी मिक्स नहीं हो पाती। उसकी अपनी एक दुनिया बन जाती है। वह प्यार, दुलार और अपनेपन में हमेशा खोई रहती है। उसे नहीं मालूम कि वह जीते जी ही मरती रहती है। उसके अंदर परिस्थितियों से सामना करने की क्षमता दिन पर दिन  कम होती जाती है। ऐसी लड़कियाँ अपने लिए तो घातक ही होती है, लेकिन अपने परिवार, आसपास के लिए भी परेशानी का कारण बनती है। वह छोटी-छोटी चीजों में उलझी रहती है। वह अगर अपनी भावनाओं को सबके समक्ष रखें, तो कोई उसकी बातों को नहीं समझेगा। अगर वो अपनी बातों को अपने अंदर सिमटा कर रखें, तो वह अंदर-अंदर घुटती रहती है। उसे दुनिया के लोगों का व्यवहार, लोगों की सोच को समझने में काफी परेशानी होती है। वह अपनी छोटी-छोटी खुशियों के लिए दूसरे पर निर्भर रहती है। उसके अंदर आत्मविश्वास की कमी आ जाती है। ऐसी लड़कियों का ना कोई दोस्त होता है और ना ही अपना। सभी के पास न तो उसकी भावना भरी बातों को सुनने का समय होता है और ना ही इच्छा। ऐसे में वह लड़की जो भावनाग्रस्त है, वह धीरे धीरे घुटती रहती है और एक बड़ी बीमारी को अपने अंदर समेटती रहती है। वह सब के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार होती है, लेकिन उसकी कोई कद्र नहीं करता। बल्कि भावनात्मक सोचने वाले से लोग दूर रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं। हाँ, जब ऐसे इंसान से कोई जरूरत पड़े तो बहुत आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है। और काम निकल जाने के बाद इससे किनारा हो जाता है। इसके अलावा उसके लिए, उसके भावना के लिए, उसकी खुशी के लिए कोई सोचेगा भी नहीं। भावना से भरी लड़कियाँ जितनी भावुक होती है, उतना ही गुस्सा भी उसको आ जाता है। कई बार वह अपनी भावनाओं को दबा कर रखती है, और फिर एक बार उसका गुस्सा ज्वालामुखी की तरह फटने लगता है। उसके भावनाओं को भी कोई समझने को तैयार नहीं होता, तो उसके गुस्से को क्यों बरदाश्त करेगा। लोगों के सामने उसकी छवि बहुत ही कमजोर इंसान (कभी-कभी इंसान भी नहीं) के रूप में होती है। उसके परिवार वाले उससे भागने लगते हैं। वो अपनी जिंदगी में उसकी दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करते। सबसे बड़ी बात है कि वह अपनी बातों को किसी राग-लपेट में नहीं कहती। सीधे-सीधे प्यार, समय और अपनी बातों की मांग करती है। वो सिद्धांतवादी हो जाती है। उसे हर काम इमानदारी से करने का जुनून सवार होता है। वह झूठ, बेईमानी, नशीली पदार्थ इत्यादि जैसी चीजों से नफरत करने लगती है। उसे बचपन में सिखाये गये कुछ पाठ ऐसे रटे हुए होते हैं, कि वह गलत काम करने के लिए तैयार नहीं होती है। वो अपना इंप्रेसन जमाने में भी कामयाब नहीं हो  पाती है। उसके इर्द-गिर्द के लोगों से वह सामान्य तौर पर ही जुड़ी रहती है। किसी से घनिष्ठता नहीं बना पाती है। अपने परिवार के अलावा किसी और से उसका कोई सरोकार नहीं होता है। ऐसे में सामने वाला उससे इतना खीझ जाता है कि उससे दूरी बनाने में ही अपना भला समझने लगता है। और अगर उसमें कुछ ऐसे इंसान मिल जाये, जो केवल प्रैक्टिल है तो ऐसी लड़की का जीना मुश्किल हो जायेगा। उसका जीवन पानी में पड़े फूल को पकड़ने की तरह हो जाता है। वो जितना ही फूल को पाने की कोशिश करेगी, फूल उससे दूर हो जाता है और वह पानी में पहले से अधिक डुबती चली जाती है। ऐसी स्थिति लड़की के लिए अच्छा नहीं होता। ऐसी लड़कियों को जिंदगी से ज्यादा मौत से प्रेम होने लगता है। वो खुली आँखों से मौत के सपने देखने लगती है कि वह धीरे-धीरे मौत के पास जा रही है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। वह मौत को चाहती जरूर है, लेकिन मौत भी उससे आँख-मिचौली खेलता रहता है। और उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं होती कि मौत को गले लगा ले। इसलिए अगर आपके परिवार, रिश्तेदार या आसपास आपको कोई भी ऐसी लड़की दिख जाये (वैसे आजकल संख्या काफी कम हुई है) तो प्लीज उसके अंदर जो भावना भरी है, उसे निकाल कर दूर फेंकने में उसकी मदद कीजिए और इस तरह से एक लड़की की जिंदगी के साथ परिवार व समाज का भी भला कर पायेंगे।

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