कोरोना ओर हम

कोरोना काल का समय बहुत लंबा चला। पर जैसे कुछ भी हमें बहुत कुछ सिखाता है ठीक वैसे ही कोरोना काल ने भी हमें बहुत कुछ सीखा दिया है। सबसे पहले तो जो हम पूरी तरह से मशीन बन चुके थे, उससे जरूर कुछ मुक्ति मिल गयी। शुरुआत के दो महीने तो हम पूरी तरह से परिवार के साथ रहे । हमें परिवार और परिवार के हर सदस्य का महत्व समझ में आया। वैसे जिनको नहीं समझना हो उनके ऊपर शायद कुछ असर नहीं हुआ हो । लेकिन बहुतों ने तो परिवार का साथ जान लिया।  उसी तरह बीमारी और मौत का साया हमारे अंदर हमेशा बना रहा।  जिससे कई बार हम टूटे तो कई बार हम बहुत मजबूती से खड़े भी हुए । बहुत कुछ बदला । महीनों बेरोजगार भी रहे तो सर पर कफन लपेट कर भी हमने काम करते लोगों को देखा । दुनिया में भगवान है, इसको भी जान गए।  कुछ डॉक्टर ने बता दिया कि हम है आप चिंता न करे तो यह भी पता चल गया कि कुछ तो दुख में भी सौदा कर लेते है और अपनी तिजोरी भर लेते है। सबसे ज्यादा मुश्किल का दौर जिसने देखा वो हमारे घरों के नन्हे मुन्ने ने देखा। वे पूरी तरह से घर मे बंद हो गए।  खिड़की या बालकोनी से भी डरते डरते बाहर झांकते दिखे।  खेलना और स्कूल जाना तो ये मासूम बच्चे जैसे भूल ही गये।  उस पर जब से शुरू हुआ ऑनलाइन पढ़ाई तो समझो उनके ऊपर तो और दबाब बढ़ गया।  नन्हीं सी जान और मोबाइल पर पढ़ना और परीक्षा का तनाव। जिस मोबाइल को हमलोग बच्चों से दूर करते थे, मजबूरी में उसके साथ में थमा दिये। अब तो जैसे सब कुछ ही ऑनलाइन हो रहा है।  डांस ऑनलाइन, गाना ऑनलाइन , कराटे  ऑनलाइन, ड्राइंग ऑनलाइन। ऑनलाइन का बाजार एक दम गर्म चल रहा है इस कोरोना दौर में । ये साल ही एक तरह से कोरोना के नाम हो गया। स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चे यूट्यूब के हवाले हो गए । नए नए डिश को बनाना और खिलाना उनकी दिनचर्या बन गयी।  जो कभी रसोई में नहीं गयी वह भी घंटों रसोई में दिखी। मां के लिए यह दुखद भी रहा और सुखद भी। बेटियों को कुछ सीखते खुशी हो रही थी और रसोई की हालत देख परेशानी। वहीं लड़कों का समय बीत ही नहीं रहा था। वो दिनरात मोबाइल पर गेम ही खेलते रहे। उनके दोस्त, साथी, अड्डाबाज सबकुछ जैसे बिछड़ गया। यह साल एक दर्द,  डरावना सपना बन कर रहेगा।  बहुतों के परिवार के लिए तो दुखद रहा। लोगों को खोया ओर उसका दर्द हमेशा सालता रहेगा। वहीं कुछ के लिए यह साल एक चुनौती के रूप में रहा।  लोग फिर से कमर कसकर मैदान में खड़े हुए है और कामयाबी पाने में लग गए।  अपने अनुभव से अपनी जीत पक्की करने में लग गये है।  महिलाओं के लिए भी यह साल अजीबोगरीब रहा। परिवार के साथ रहने का सुखद रहा तो बच्चों और पुरुषों को परेशान देखकर दुखी भी हुई । उनके लिए यह बहुत मेहनत का समय रहा।  पूरे घर की जिम्मेदारी बढ़ गयी। घर में रहने वाली महिलाओं का कार्य बढ़ा तो वहीं नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए घर में रहने के साथ-साथ जिम्मेदारी बढ़ी। उसे बड़ी मेहनत से निभाना पड़ा।  अब 2020 साल जाने को है। और हम मना रहे है कि यह साल जाये और इसके बाद जो नया साल है हमारे जीवन मे खुशियों के सारे रंग भर दे । खास कर उनके जीवन को जिसको कोरोना ने बहुत दुखः दिया। हमारे मन से, दिमाग से डर हट जाए।  हमें मास्क ओर सेनिटाइजर से मुक्ति दिला दे नया साल।  कोरोना वायरस हमेशा हमेशा के लिए चला जाये।  हम फिर अपने घर, परिवार काम को लेकर एक अच्छी जिंदगी जी सके। बच्चे खुशी-खुशी स्कूल जाये और क्लास रुम में पढ़ाई करें। उम्मीद है कि यह नया साल जो अब कुछ दिनों में आने को तैयार है वो हमारी दुनिया को, पूरे विश्व को तनाव से मुक्ति दिलाएगा। 

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