एक चेहरे पर कई चेहरे लिए
लोग घूम रहे हैं
कौन सच्चा, कौन झूठा
भ्रमित है लोग
अलग-अलग लोगों के लिए
अलग-अलग चेहरे
कैसे जमाये हैं लोग
लोगों को लोगों से लड़ा कर
खुद को तृप्त महसूस कर रहे हैं लोग
ऊँचे औहदे तक पहुँचने के लिए
कितने नीचे गिरते जा रहे हैं लोग
फिर भी सकून की नींद सो पा रहे हैं लोग
ज्यादा पाने की चाह में, लोगों से बहुत कुछ
छिनते जा रहे हैं लोग
रोज सुबह एक नयी तरकीब
ढूँढ रहे हैं लोग
शाम को उनके फायदे-नुकसान
का चिट्ठा तैयार कर रहे हैं लोग
अपने को साबित करने के लिए
कितनों को गलत ठहरा रहे हैं लोग
लोग ही है जो
लोगों को लोगों के
खिलाफ जहर भर
रहे हैं
Comments
Post a Comment