दिल की बात
जो चाहा, पाई नहीं, जो पाई वह चाही नहीं। जिसका सपना देखी, वह हकीकत बन नहीं पाया। जो हकीकत में है, उसको अपना नहीं पाई। अकेले रहना अच्छा नहीं लगता। लोगों का साथ मिलता नहीं। कोई मुझे समय देता नहीं, मेरा समय किसी को चाहिए नहीं। मैं किसी की दीवानीं नहीं, कोई मेरा चाहनेवाला नही। मैं इतनी गरीब नहीं, कि मैं गरीब का लेबल लगाकर घूमूँ। और अमीर भी इतनी नहीं कि शान, शौकत से रह सकूँ। छोटा सा प्यारा परिवार है, लेकिन बुजुर्ग की कमी है। लोगों से दूर हूँ, पर किसी से अंजान नहीं। मसलन,मसलन न जाने कितनी बातें हैं और कुछ भी बातें नहीं। बातें बहुत है पर सुनने वाला कोई नहीं। दिल की तो एकदम नहीं। काम मैं ज्यादा कर नहीं पाती,इसलिए काम से मैं दूर ही रहती हूँ। दिल की बात दिल में है। दिल के बाहर की बात भी कोई नहीं करने वाला। मेरे अकेलेपन को मैं दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ाती रहती हूँ।
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