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वर्ष
2017 जाने को तैयार है और 2018 आने के लिए बेताब है। शुक्र है कि इस साल कुछ अच्छी
फिल्में देखने को मिली। वैसे बॉलीवुड की अधिकतर
फिल्में हमेशा दर्शकों को भ्रमित ही करती रही है। कभी जब संयुक्त परिवार का चलन था,
तो बालीवुड की फिल्मों में भाभी-ननद, सास-बहू, भाई-भाई की लड़ाई को ही ज्यादा दिखाता
है। एक समय विलेन को तो हीरो के बराबर ही माना जाता था। इसके अलावा बालीवुड की फिल्म
में एक ऐसी चीज भरी रहती है, जिसे देखकर युवा वर्ग पूरी तरह से भ्रमित हो जाते हैं। तीन घंटे की फिल्म खत्म होने
के बाद भी युवा मन खोया-खोया सा रह जाता है
। जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक ही समझा। बालीवुड की फिल्मों में प्यार, रोमांस की भरमार
होती है। फिल्मों में प्यार, रोमांस देखकर नवयुवक भ्रमित हो जाते हैं। वे अपनी जिंदगी
में भी वैसा ही प्यार खोजने लगते हैं और उन्हें हाथ लगता है केवल निराशा। क्योंकि जिंदगी
में फिल्मों जैसा प्यार तो हो ही नहीं सकता। पर अब लगता है इन बातों को बॉलीवुड ने
भी महसूस किया और इससे अलग हटकर फिल्में बनने लगी है। वर्ष 2017 में कई ऐसी फिल्में
आयीं, जिससे देखकर मन खुश हुआ। और कुछ ऐसी आने वाली हैं, जिसकी चर्चा रही। वर्ष के
मध्य में जहाँ बाहुबली का जादू चला, वहीं उसके बाद हिंदी मीडियम जैसे गंभीर विषय को
लेकर भी फिल्म बनी। और वर्ष के आखिर में विद्या बालन की फिल्म आयी तुम्हारी सुलू। बिल्कुल
हटकर। ना कोई एकस्ट्रा प्यार, ना ही कोई ज्यादा तकरार। सुरेश त्रिवेणी के डायरेक्शन
में आयी इस फिल्म में भी विद्या बालन का जादू चला। खास बात है कि जादू चलाने के लिए
ना ही विद्या बालन को जीरो फिगर के लिए कोशिश करनी पड़ी और ना ही उसकी सुंदरता को केंद्र कर फिल्म बनायी
गयी। बल्कि मुख्य भूमिका में ही विद्या जो सुलोचना है, यानी प्यार से सुलू है। अपने
बच्चे के साथ, पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी एनर्जी से भरपूर दिखती है।
प्रतियोगिताओं में जीत हासिल करते हुए रेडियो जॉकी तक का सफर तय करती है। पारिवारिक
परेशानियाँ आती है, पर उनसे निपटते हुए आगे
बढ़ती है और कहती हैं कि मैं कर सकती हूँ। उसका यह कहना ही उसकी कामयाबी दर्शाती है
और दर्शक में भी ऊर्जा भर देती है। कहीं से
भी वह निगेटिव नहीं दिखी। उसके अंदाज में, अभिनय में जबरदस्त आत्मविश्वास दिखा। और
सबसे बड़ी बात है कि साधारण सी साड़ी पहने हुए भी विद्या दर्शकों पर राज करती दिखीं।
सुलू के पति के रूप में मानव कौल ने भी अच्छा अभिनय किया है और पत्नी का साथ दिया है।
बेटे ने भी अपनी भूमिका अच्छे से की। नेहा धूपिया जो विद्या के बॉस के रूप में नजर
आती है, वह भी दर्शकों को पसंद आयी। इस फिल्म की खास बात यह है कि इस फिल्म में कहीं
भी कुछ भी ज्यादा नहीं लगा। सामान्य सी जिंदगी जीने वाली विद्या जो पारिवारिक जिम्मेदारियाँ
निभाते हुए प्रतियोगिताओं में जीतती रहती है। और इसी क्रम में वह रेडियो स्टेशन पहुँच
जाती है और वहाँ से शुरू होता है रेडियो जॉकी यानी आरजे बनने का सफर। उसका सपना सच
होता है और उसका काम भी पसंद किया जाने लगता है। अपनी नयी सोच और ऊर्जा से भरी विद्या
यानी सुलू आगे बढ़ती है और उसमें उसका साथ देता
है उसका परिवार।
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